23/11/2025

Dhanbad Times

प्रेमचंद की विरासत पर संवाद: कतरास में डॉ. मृणाल की पुस्तक का लोकार्पण, सच कहने की हिम्मत पर जोर” बिगाड़ के डर से ईमान का सौदा नहीं किया जा सकता— विजय कुमार झा

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बिगाड़ के डर से ईमान का सौदा नहीं किया जा सकता— विजय कुमार झा—
धनबाद;  कतरास स्थित भारतीय क्लब में आयोजित सादे समारोह में जनवादी लेखक संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डा. मृणाल की किताब “प्रेम चंद हमारे हमसफ़र ” का लोकार्पण किया गया, साथ ही परिचर्चा भी हुई, जिसमें मशहूर लेखक और चिंतकों ने अपने अपने विचार व्यक्त किये। दिल्ली से आए प्रोफेसर डॉ. नलिन रंजन, जलेस के राष्ट्रीय सचिव डॉ.अली इमाम खां, मनमोहन पाठक, हिमांशु शेखर, बलभद्र, राजेन्द्र मिश्र, समाजसेवी विजय झा, राजेन्द्र प्रसाद राजा, मुख्य रूप से शामिल हुए। संचालन जलेस के सचिव डा. अशोक ने की, जबकि अध्यक्षता अनवर शमीम ने किया। धन्यवाद ज्ञापन परवेज़ शीतल ने किया। सभी वक्ताओं ने प्रेमचंद की जीवनी और उनके संघर्षों पर विस्तार से प्रकाश डाला। प्रोफेसर हिमांशु शेखर ने विस्तार से इस पुस्तक की महत्ता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि इस किताब के आधार पर डा. मृणाल को डाक्टरेट की उपाधि से विभूषित किया जा सकता है। डॉ अली इमाम खां ने कहा कि प्रेमचंद को पढ़ने समझने और समझाने की आवश्यकता है। उनका साहित्य हमें सोचना और न्याय करना सिखाता है। समाजसेवी विजय झा ने कहा कि प्रेमचंद आज भी प्रासंगिक हैं। वे हमें संघर्ष की शिक्षा देते हैं। मुंशी प्रेमचंद की महान कृति पंच पर्मेश्वर पर चर्चा करते हुवे कहा कि एक जगह उन्होंने दर्शाया है
कि क्या बिगाड़ के डर से ईमान की बात नही करोगे। 1930 में लिखी गयी पुस्तक का हवाला देते हुवे कहा कि उस समय जो बात कही गयी थी, वह आज भी समीचीन है। क्योंकि आज भी लोग सच बोलने से कतरा रहे हैं कि कहीं अपनों से बिगाड़ न हो जाय। प्रेमचंद के साहित्य की सार्थकता कम नही हुई है। प्रोफेसर नलिन रंजन ने कहा कि प्रेमचंद को समझने में यह पुस्तक काफी मददगार साबित होगी। बलभद्र जी ने कहा कि प्रेम चंद को समझने के लिए उनके संघर्षों,समय और उनके विचारों के अध्ययन पर बल दिया। अनवर शमीम ने इस किताब को समय की जरूरत बताया। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए परवेज़ शीतल ने कहा कि आज सच कहना, सच सुनना और सच को सच स्वीकार करना कठिन हो गया है। उन्होंने सभी को सच को सच स्वीकार करने के लिए अपील किया। धन्यवाद ज्ञापन के साथ ही कार्यक्रम के समापन की घोषणा की गई। कार्यक्रम की शुरुआत इप्टा के कलाकार विष्णु कुमार के गीत से हुई। सभागार में राजेन्द्र राजा, मुन्ना सिद्दीकी, मातादीन अग्रवाल, उमाशंकर तिवारी, स्वामीनाथ पाण्डेय, विद्यानंद झा, विनय सिंह,शंकर चौहान, रंजन मिश्रा,विष्णु कुमार, राजेंद्र प्रजापति, उमेश ऋषि, जयदेव बनर्जी, प्रभात मिश्रा, आज़ाद प्रसाद सिंह, राहुल, राजेश रवि आदि उपस्थित थे।

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